आखिर क्यों सर्दियों में उभर आते हैं सारे शरीर के दर्द
सर्दी का मौसम आते ही हम पूरी तरह आलसी और नाजुक बन जाते हैं। सुबह उठने के बाद पूरे शरीर में ऐसा दर्द होता है, जिसे बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो सकता है। पीठ, कमर, जोड़ों का दर्द न सिर्फ बुजुर्गों को बल्कि युवा और बच्चों को भी परेशान करने लगा हैं। खासकर पुरानी चोटों में दर्द ज्यादा बढ़ जाता है। हम सभी के दिमाग में एक न एक बार ये सवाल जरूर आता है कि आखिर सर्दियों के मौसम में शरीर में दर्द क्यों होने लगता है? अगर आपके मन में भी ऐसे ही सवाल आते हैं, तो आइये इसका कारण विस्तार से जानते हैं।
कारण
• ठंड के मौसम में आलसी होने के कारण हम फिजिकल एक्टिविटी करने से परहेज करने लगते हैं, जिस कारण हमारी मसल्स में जकड़न होने लगती है। ठंड में फिजिकल एक्टिविटी कम करने के कारण ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है, जिससे जोड़ कम लचीले हो जाते हैं और उनमें अकड़न और दर्द होने लगते हैं।
• सर्दी के मौसम में बैरोमीटर के दबाव में बदलाव के कारण मांसपेशियों और टेंडन के टिशू बढ़ने लगते हैं, जिस कारण जोड़ों में दर्द होने लगता है, और शरीर की तकलीफ बढ़ जाती है।
• तापमान में गिरावट के कारण, आपके जोड़ों के अंदर मौजूद तरल पदार्थ गाढ़ा हो जाता है और इससे जोड़ों में अकड़न होने लगती है। जॉइंट्स में होने वाली अकड़न के कारण शरीर में दर्द बढ़ जाता है।
• कम तापमान मांसपेशियों में ऐंठन का कारण बनता है, धमनियों पर दबाव डालता है और जोड़ों में अकड़न पैदा करता है। यहीं कारण है कि जब कोई अपने घुटनों या जोड़ों को मोड़ने की कोशिश करता है, तो उसे सामान्य से अधिक दर्द होता है। दर्द रिसेप्टर्स अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
• ठंड की स्थिति में, वायुमंडलीय दबाव बदल जाता है, जिससे आपके शरीर में तरल पदार्थ प्रभावित होता है, खासकर आपके घुटनों और टखनों के आसपास। जब ठंड होती है तो बैरोमीटर का वायुदाब तेजी से कम हो जाता है। दबाव में इस गिरावट के कारण घुटनों और टखनों के आसपास गैसें और तरल पदार्थ तेजी से फैलने लगते हैं। जैसे-जैसे ये तरल पदार्थ फैलते हैं, वे एकत्रित हो जाते हैं और नसों पर असुविधाजनक दबाव बनाते हैं, जिससे पुरानी चोटें फिर उभर आती हैं।
• सर्दियों के महीनों के दौरान, बहुत से लोग शारीरिक गतिविधि से बचते हैं। ऐसे में मूवमेंट की कमी से जोड़ों, मांसपेशियों और ऊतकों में अकड़न हो सकती है, साथ ही पुरानी चोटें भी बढ़ सकती हैं।
• एक और कारण जो दर्द को बढ़ा सकता है वह है विटामिन डी की कमी। विटामिन डी हड्डियों के लिए अच्छा है, लेकिन सर्दियों के दौरान इसका संपर्क कम हो जाता है। तापमान में गिरावट, ह्यूमिडिटी में कमी, और बैरोमीटर के दबाव में परिवर्तन, ये सभी जोड़ों के दर्द, कठोरता और सूजन का कारण बन सकते हैं।
• ठंडे तापमान में, रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं जिससे स्वस्थ रक्त प्रवाह बाधित होता है। यह मांसपेशियों पर दबाव डालता है और इसलिए कई स्वास्थ्य जोखिमों का कारण बन सकता है जैसे मधुमेह बढ़ना, उच्च रक्तचापजोड़ों का दर्द बढ़ना आदि।
बचाव
• सर्दी के मौसम में बेहतर ब्लड सर्कुलेशन और जोड़ों की गतिशीलता में सुधार करने के लिए आप स्ट्रेचिंग, योग या हल्के एरोबिक वर्कआउट जैसे एक्सरसाइज अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं।
• सर्दी के मौसम में कई लोग ठंडे पानी से नहाने से बचें और नियमित रूप से गर्म पानी से स्नान करने की कोशिश करें। ऐसा करने से कठोर मांसपेशियों और जोड़ों को आराम मिल सकता है। परतों में कपड़े पहनें, इससे शरीर की गर्मी बनाए रखने में मदद मिलती है और आपके जोड़ों पर ठंड का प्रभाव कम हो जाता है।
• ठंड के मौसम में अपने शरीर को गर्म रखने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर फूड्स, विटामिन डी के स्रोत जैसे अंडे की जर्दी, गाय या सोया दूध और धूप में सुखाए गए मशरूम और विटामिन के से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे पालक, मेथी की पत्तियां, और सरसों के साग का सेवन करें। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आंवला और हल्दी का सेवन करें, जिससे सूजन से लड़ने और जोड़ों को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।
• सर्दी ही नहीं हर मौसम में हाइड्रेटेड रहना आपके लिए महत्वपूर्ण है। पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन बेहतर सर्कुलेशन बेहतर रहता है, जो जोड़ों को चिकना बनाए रखने में मदद कर सकता है।
• अगर आप गंभीर या लगातार जोड़ों के दर्द का अनुभव कर रहे हैं, तो आप इन उपायों को ट्राई करने के साथ किसी एक्सपर्ट से सलाह ले सकते हैं।
• सर्दी का मौसम वैसे तो हर किसी को पसंद आता है, लेकिन सेहत के लिहाज से ये थोड़ा कष्टदायक होता है। सर्दी के मौसम में पुरानी चोटें या दर्द वापस उभर कर आ जाती हैं साथ ही इस दौरान किसी घाव को ठीक होने में सामान्य से अधिक समय लगता है। इसके चलते अधिक दर्द का अनुभव होता है, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर ठंड के मौसम में पुरानी चोटों का दर्द क्यों बढ़ जाता है? नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों होता है।
यह भी पढ़ें: गुर्दे में पथरी क्यों होती है? इसके कारण क्या है?
