वैरिकोज वेन्स क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और इलाज
विशेषकर महिलाओं को कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान या मोटापे की वजह से भी पैरों की रक्त धमनियां मोटी-मोटी हो जाती हैं और उनमें सूजन भी आ जाती है। इस समस्या को वैरिकोज वेन्स के नाम से जाना जाता है। इसी कारण पीडि़तों का चलना-फिरना और खड़ा होना दुर्भर हो जाता है जिससे उनके नियमित कार्य दुष्प्रभावित होने लगते हैं। क्योंकि इससे पैर अजीब लगने लगते हैं, इसी कारण कई लोग इस समस्या को कोस्मेटिक समस्या समझने लगते हैं और इसकी जांच कराने में विलंब करते हैं जिससे आगे चलकर उनकी समस्या और बढ़ सकती है।
क्या होता है वैरिकोज वेन्स?
वैरिकोज वेन्स सूजी हुई और अधिक मुड़ी हुई वो नसें होती हैं, जो नीले या गहरे बैगनी रंग की होती हैं। देखने में ये नसें उभरी हुई होती हैं। इन नसों के आसपास स्पाइडर वेन्स होती हैं जो नसें लाल और बैगनी रंग की होती हैं और दिखने में काफी पतली एवं बारीक होती हैं।
कई बार पीड़ित धमनियों में भयानक खुजली होने लगती है और अधिक खुजला देने के कारण वहां घाव या अल्सर बन जाता है। वैरिकोज वैन्स अक्सर मोटी होकर फैल जाती हैं। पैरों की रक्त वाहिनियों में खासकर ये समस्या पाई जाती है। ये अधिकतर पैर के पिछले हिस्से में दिखाई देती हैं। 50 वर्ष की आयु से अधिक उम्र वाले दो लोगों में एक में तो अवश्य वैरिकोज वेन्स पाया जाता है।
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वैरिकोज वेन्स के लक्षण:
- पैरों का भारी होना
- पैरों में खुजली
- एड़ी में सूजन
- प्रभावित रक्तवाहिनियों का रंग बदलना (वे नीले रंग में दिखने लगती हैं)
- पैरों का लाल होना
- रूखापन
- पैरों में अजीब से निशान पड़ना
वैरिकोज वेन्स के कारण:
ये पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक पाई जाती है और इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे:- मोटापा, मेनोपौज, आनुवांशिक, बढ़ती उम्र, गर्भावस्था आदि।
1. गर्भावस्था:
‘गर्भावस्था’ भी वैरिकोज वेन्स का खतरा बढ़ा सकता है। इस दौरान, खून ज्यादा बनने लगता है लेकिन पैर से ऊपर की ओर रक्त संचार कम हो जाता है। गर्भाशय में पल रहे भ्रूण के विकास के लिए यह संचार लाभदायक होता है लेकिन इससे वैरिकोज वेन्स का खतरा भी रहता है।
2. आनुवंशिकता:
वैरिकोज वेन्स एक आनुवंशिक बीमारी है। अगर आपके परिवार में कोई वैरिकोज वेन्स से पीड़ित था तो यह समस्या आप में भी हो सकती है।
3. शरीर की स्थिति:
वैरिकोज वैन्स की समस्या इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपका शरीर ज्यादा से ज्यादा समय किस स्थिति में रहता है। लंबे समय तक एक ही पोजीशन में खड़े रहने या बैठे रहने से रक्त प्रवाह में असहजता होती है जिससे वैरिकोज वेंस का सिलसिला शुरू हो सकता है।
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अगर इस समस्या पर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो परेशानियां बढ़ सकती हैं जैसे कि:
- धीरे-धीरे पैरों में भयानक दर्द होना।
- चलने-फिरने और उठने बैठने में तकलीफ होना।
- त्वचा में डर्मेटाइसिस जैसी समस्या के उत्पन्न होने का खतरा होना।
- एडिय़ों के आसपास अल्सर बनना जो कि आगे चलकर कार्सिनोमा और सार्कोमा में बदल सकते हैं।
- वृद्धावस्था में रक्तस्राव होना।
- कई बार प्रभावित धमनियों में रक्त के थक्के भी बन जाते हैं जिसे थ्रोंबोफ्लेबिटिया कहते हैं। इसके अतिरिक्त, नेक्रोसिस भी उभर सकता है, जो कि एडिय़ों को अधिक प्रभावित करता है।
वैरिकोज वेन्स के उपचार:
- जुराबें: इस समस्या का निदान करने के लिए विशिष्ट रूप से कुछ जुराबें उपलब्ध हैं जो कि सूजन को कम करने में मदद करती हैं। ये जुराबें पैरों में पुष्टिकरों की मात्रा बढ़ाती हैं और रक्त प्रवाह के क्रम को सही करती हैं जिससे दर्द भी कम होता है।
- दवाइयां: वैरिकोज वेन्स के दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवाइयां लेने की भी सलाह दी जाती है लेकिन इनके दुष्प्रभाव भी अधिक होते हैं।
- व्यायाम: व्यायाम करने से भी कुछ हद तक वैरिकोज वेन्स से आराम पाया जा सकता है। पीड़ित बैठते समय पैरों को सीधा खींचे और व्यायाम करें।
- सर्जरी: सर्जरी के दौरान धमनियों के अतिरिक्त फैलाव को काटकर हटाया जाता है जिससे वैरिकोज वेन्स में आराम मिलता है
- रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन: रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन की मदद से वैरिकोज वेन्स की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। यह एक शल्यरहित प्रक्रिया होती है जिसमें लेजर या रेडियोफ्रीक्वेंसी की मदद से प्रभावित धमनियों तक किरणें डाली जाती हैं जिससे वे सही दिशा में रक्त प्रवाहित करने लगती हैं। इसमें एक सूक्ष्म छिद्र द्वारा नसों में पतली नली डालकर इलाज किया जाता है। इस तकनीक में इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट त्वचा पर एक सूक्ष्म छिद्र से घुटने के ऊपर या नीचे की नसों में पतली नली डालता है। इस नली के ऊपरी हिस्से में इलेक्ट्रोड होते हैं जो कि नसों की कोशिकाओं को गरम करते हैं जिससे मोटी नसें सूख जाती हैं और वैरिकोज वेन्स धीरे-धीरे ठीक हो जाती हैं। इस प्रक्रिया से पैरों में आपरेशन का कोई निशान नहीं पड़ता और दर्द और वैरिकोज वैन्स जल्दी ठीक हो जाती हैं।
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वैरिकोज वेन्स के लिए मिलें बेस्ट डॉक्टर से:
डॉ. प्रो. (ब्रिगेडियर) वेम्बू आनंद वैस्कुलर एंड एंडोवास्कुलर सर्जरी के निदेशक के रूप में वर्तमान में यशोदा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, नेहरू नगर, गाजियाबाद में कार्यरत हैं। भारतीय वायु सेना में 33 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ डॉ. आनंद सभी प्रकार की जटिल वैस्कुलर ओपन और एंडोवास्कुलर प्रक्रियाओं को करने में एक विशेषज्ञ हैं।