किडनी का रखें खास ख्याल
किडनी हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है जो हमारे शरीर के अवांछित पदार्थों को छान कर उसे पेशाब के रास्ते से बाहर निकालती है। यदि इस प्रक्रिया में कुछ 19-20 हो जाए तो समझ लीजिए, समस्या उत्पन्न होनी शुरू हो गई है और आपको अब निदान करने की आवश्यकता आन पड़ी है।
किडनी का मुख्य कार्य शरीर से व्यर्थ पदार्थों और रक्त से अतिरिक्त जल को बाहर निकालना होता है। दोनों किडनियां प्रतिदिन 200 लीटर रल को प्रोसेस करती हैं और लगभग 2 लीटर यूरीन उत्पनन्न करती हैं। किडनी कईं हार्मोन भी उत्पन्न करती है जिनका शरीर में महत्वपूर्ण कार्य होता है।
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किडनी में समस्या के प्रमुख लक्षण:
कई लोगों में किडनी रोग के गंभीर लक्षण अंतिम चरण पर ही दिखाई देते हैं। निम्न लक्षण इस प्रकार हैः
- अधिक थका हुआ और कम उर्जावान महसूस करना: आप अचानक से चलते-चलते या सीढ़ियां चढ़ने के दौरान थकने लगे तो समझ जाइए कि आपकी किडनी ठीक तरह से काम नहीं कर रही है जो हमारी किडनी में विषाक्त पदार्थों के जमा होने का कारण हो सकता है।
- भूख कम लगना: यदि आपको भूख नहीं लग रही है तो यह भी किडनी संबंधी बीमारी का शुरूआती कारण हो सकता है क्योंकि किडनी यदि ठीक से काम नही कर रही है तो आपके शरीर में विषाक्त तत्व जमा होने लगते हैं।
- सोने में समस्या आना: यदि रात में सोने में परेशानी होती है, तो यह मोटापे और क्रोनिक किडनी रोग के बीच एक कनेक्शन हो सकता है। सामान्य लोगों की तुलना में क्रोनिक किडनी रोग वाले लोगों में स्लीप एपनिया की समस्या आम है।
- मांसपेशियों में खिंचाव व ऐंठन: अक्सर हमें उठते या बैठते समय लगता है कि हमारे मांसपेशियों में खिंचाव व ऐंठन आ गई है या पैर या पीठ में जकड़न के साथ तेज दर्द महसूस होता है। कभी एक बार यदि ऐसा हो तो परेशानी नहीं है लेकिन यदि यह आपको नियमित रूप से होता है तो यह किडनी संबंधी बीमारी की वजह हो सकता है।
- पैर और टखने फूल जाना: यदि आपके पैरों या टखने में लगतार सूजन है तो इसका मतलब आपकी किडनी की कार्यक्षमता में सोडियम प्रतिधारण हो गया है जिसके कारण पैरों या टखने में सूजन भी आ सकती है। यह हृदय रोग, लीवर संबंधी रोग और पैर के नसों में समस्याओं का भी संकेत हो सकता है।
- सूखी और खुजली वाली त्वचा: किडनी हमारे शरीर में अवांछित पदार्थों को बाहर निकालने के अलावा लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने में सहायक होती है। यदि किडनी ठीक से काम नहीं कर रही तो इसका संतुलन बिगड़ सकता है जिसका प्रभाव हमारे शरीर की त्वचा का ड्राई होना और खुजली होने जैसी समस्याओं के रूप में दिख सकता है।
- रात में बार–बार मूत्र त्याग करना: यदि आपको बार-बार पेशाब आता है तो भी यह किडनी की बीमारी के संकेत है। इस तरह की बीमारी में किडनी के फिल्टर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं जिसके कारण पेशाब करने की इच्छा बार-बार होती है। कई बार पुरुषों में यूरिनरी इंफेक्शन या बढ़ा हुआ प्रोस्टेट भी इसका संकेत हो सकता है।
- उच्च रक्तचाप: किडनी की बीमारी का एक लक्षण उच्च रक्तचाप भी हो सकता है। जैसे-जैसे गुर्दे की कार्यक्षमता बिगड़ती जाती है, शरीर में सोडियम और पानी जमने लगते हैं जिससे उच्च रक्तचाप होता है। उच्च रक्तचाप के लक्षणों में सिरदर्द, पेट में दर्द, अँधेरा छाना और शायद गुर्दे की बीमारी के शुरुआती लक्षण शामिल हैं।
इसके अलावा छाती में दर्द, सांस फूलना, ध्यान केंद्रन में समस्या आना, आंखों के नीचे सूजन, पेशाब में खून आना, पेशाब झागदार होना आदि जैसे लक्षण भी होते हैं।
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किडनी खराब होने के कारण:
किसी भी उम्र में किसी को भी किडनी रोग हो सकता है। हालांकि कुछ लोगों में दूसरों की तुलना में यह समस्या अधिक होती है। किडनी रोग का खतरा कई कारणों से हो सकता है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- किडनी रोग का पारिवारिक इतिहास
- उम्र का बढ़ना
- किडनी का लगातार संक्रमण
- पेनकिलर का अधिक मात्रा में सेवन
- पथरी या किडनी में ट्यूमर
- डायबिटीज
- उच्च रक्तचाप
- हृदय रोग
- धुम्रपान
- मोटापा
- कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर
किडनी की समस्या का निवारण:
- अगर आपकी कोई ऐसी चिकित्सीय संबंधी स्थिति है जो आपके लिए क्रॉनिक किडनी डिसीज का खतरा बढ़ा देती है, तो जल्द ही चिकित्सक से संपर्क करें।
- डॉक्टर आपके रक्तचाप और किडनी की कार्यप्रणाली की जांच करेगा।
- इसके साथ ही यूरीन और रक्त की जांच भी करवाई जाती है।
- इसके अलावा ब्लड टेस्ट, यूरीन टेस्ट, इमैजिंग टेस्ट जैसे अल्ट्रासाउंड, बॉयोप्सी, ग्लोमेरूलर फिल्ट्रेशन रेट – जीएफआर (यह किडनी के कार्य के स्तर और किडनी रोग के चरण को मापने के लिये सबसे बेहतर टेस्ट है) भी कारगर सिद्ध हो सकता है।
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नजरअंदाज बिल्कुल न करें:
किडनी की समस्या से बचने के लिए आपको भी थोड़ी बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। निम्न बातों का ध्यान रखकर आप इससे रोकथाम कर सकते है। जैसेः
- फिट और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
- अपने रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखें।
- संतुलित और पोषक भोजन खाएं।
- नमक का सेवन कम करें और अपने वजन को नियंत्रित रखें।
- धुम्रपान को नजरांदाज करें।
खान–पान का रखें ख्याल:
- नमक का कम मात्रा में सेवन करना तथा द्रव की मात्रा (दूध, चाय, पानी मिलाकर) भी मूत्र के अनुसार लेना।
- रसीले फल नहीं खाना तथा गूदे वाले फलों का सेवन जैसे सेब, अमरूद, दो तीन फाँक पपीता।
- पत्तों वाली व हरी सब्जियाँ का पानी में उबालकर सेवन करना।
- प्रोटीन कम मात्रा में लेना (अधिक सेम, चना, दाल व दूध का सेवन नहीं करना)।
- दिन भर में एक बड़ा चम्मच तेल या घी का सेवन करना।
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डॉ. रविंदर सिंह भदोरिया एक समर्पित नेफ्रोलॉजिस्ट हैं। दिल्ली एनसीआर के विभिन्न प्रतिष्ठित अस्पतालों में नेफ्रोलॉजी में 15 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ, डॉ. भदोरिया गंभीर रूप से बीमार नेफ्रोलॉजी रोगियों, सामान्य नेफ्रोलॉजी रोगियों, सीकेडी स्टेज V वाले रोगियों और गुर्दे के प्रत्यारोपण के प्रबंधन में विशेषज्ञता रखते हैं।