महिलाओं में बढ़ते पीसीओएस की समस्या: क्या होता है ये और कैसे करें इसका निवारण?

महिलाओं में बढ़ते पीसीओएस की समस्या: क्या होता है ये और  कैसे करें इसका निवारण?
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आजकल हार्मोस में बदलाव के कारण शादीशुदा महिलाओं को ही नहीं बल्कि किशोरावस्था की लड़कियों में भी बहुत ही छोटी उम्र से पीसीओएस यानी की पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्या देखने को मिल रही है। चिंता की बात यह है कि कई सालों पहले यह बीमारी केवल 30 के ऊपर की महिलाओं में ही आम होती थी, लेकिन आज इसका उल्टा ही देखने को मिल रहा है।

मोटापा अपने आप में एक बीमारी है और यदि उसके ऊपर से कोई और बीमारी हो जाए तो शारीरिक, मानसिक और सामाजिक उत्पीड़ना भी झेलनी पड़ती हैं। पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) भी इसी श्रेणी में आता है।
मोटापे की शिकार महिलाओं में से 10 प्रतिशत से भी अधिक को पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम यानी पीसीओएस अथवा पीसीओडी होने का खतरा है। पीसीओएस बांझपन के मुख्य कारणों में से एक है। अध्ययनों के मुताबिक मौजूदा समय में गर्भधारण के एज ग्रुप वाली तकरीबन 35 प्रतिशत महिलाएं इससे पीडि़त हैं।

आइए जानते हैं, आखिर इस बीमारी का कारण क्या है और इससे कैसे निजात पाया जा सकता है-

क्या है पीसीओएस

पिछले एक दशक में ऐसा देखा गया है कि पीसीओएस इंसुलिन रेजिस्टेंस की एक स्थिति है। इसका मतलब है कि इससे पीडि़त लोगों में इंसुलिन की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जिसके चलते गर्भाशय से टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन काफी अधिक मात्रा में बनता है। अधिक मात्रा में टेस्टोस्टेरॉन बनने से अंडाणु नहीं बनते, इस स्थिति को अनओवुलेशन कहते हैं जिससे माहवारी नियमित रूप से नहीं आती और बांझपन की समस्या हो जाती है। ऐसे मामलों में माहवारी के अनियमित पीरियड, देरी से इसका आना और ज्यादा मात्रा में खून का बहाव होने जैसे लक्षण दिखते हैं। कई महिलाओं को तो महीनों तक या फिर सालों तक पीरियड नहीं होता है।

पीसीओएस का संबंध कई तरह की मेटाबोलिक समस्याओं से है। जैसे-

  • कोलेस्ट्रॉल का स्तर काफी ज्यादा होना, हाई ब्लड प्रेशर और पेट का मोटापा।
  • इससे टाइप 2 डायबीटीज होने, दिल की बीमारियों और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
  • पेट के मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में एनीमिया की समस्या भी हो सकती है।
  • पीसीओएस तब होता है जब ओवरी हार्मोन में असंतुलन पैदा हो जाती है। हार्मोन में जरा सा भी बदलाव मासिक धर्म चक्र पर तुरंत असर डालता है। इस कंडीशन की वजह से ओवरी में छोटा अल्सर(सिस्ट) बन जाता है। अगर यह समस्या लगातार बनी रहती है तो न केवल ओवरी और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है बल्कि यह आगे चल कर कैंसर का रुप भी ले लेती है। दरअसल महिलाओं और पुरुषों दोनों के शरीरों में ही प्रजनन संबंधी हार्मोन बनते हैं।
  • पीसीओएस की समस्या से ग्रस्त महिलाओं के अंडाशय में हार्मोन सामान्य मात्रा से अधिक बनते हैं। यह स्थिति सचमुच में घातक साबित होती है। ये सिस्ट छोटी-छोटी थैलीनुमा रचनाएं होते हैं, जिनमें तरल पदार्थ भरा होता है। अंडाशय में ये सिस्ट एकत्र होते रहते हैं और इनका आकार भी धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है। यह स्थिति पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिन्ड्रोम कहलाती है। और यही समस्या ऐसी बन जाती है, जिसकी वजह से महिलाएं गर्भ धारण नहीं कर पाती हैं।

पीसीओएस के होने के लक्षण

  • चेहरे पर बाल उग आना, मुंहासे होना, पिगमेंटेशन, अनियमित रूप से माहवारी आना, गर्भधारण में मुश्किल होना आदि कुछ ऐसे लक्षण हैं, जिनकी ओर महिलाएं ध्यान नहीं देती हैं।
  • आमतौर पर अनियमित माहवारी, मोटापा, बांझपन, मुंहासे, शरीर के बालों की अनियमित ग्रोथ और सिर के बालों के कम होने जैसे लक्षण दिखते हैं।
  • इसके साथ ही पेट के आस-पास अत्यधिक मात्रा में फैट जमा होने की समस्या भी दिखती है। अधिकतर महिलाओं की बीमारी का पता इन लक्षणों के इलाज के दौरान चल पाता है।
  • कुछ मामलों में ये लक्षण किशोरावस्था की शुरुआत और माहवारी के शुरू होने के समय से दिखने लगते हैं, तो कई मामलों में २५-२६ साल की उम्र के बाद ये लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं।
  • अलग-अलग क्लाइमेट में रहने वालों में इसके अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

पीसीओएस होने का कारण

  • इन दिनों ज्यादा काम के चक्कर में तनाव और चिंता अधिक रहती है। इस चक्कर में लड़कियां अपने खाने-पीने का बिल्कुल भी ध्यान नहीं देती। साथ ही लेट नाइट पार्टी में ड्रिंक और स्मोकिंग उनकी लाइफस्टाइल बन जाती है, जो बाद में बड़ा ही नुकसान पहुंचाती है। इसलिये अपनी दिनचर्या को सही कीजिये और स्वस्थ्य रहिये।
  • जंक फूड, जैसे- पीजा और बर्गर शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। अत्यधिक तैलीय, मीठा व वसा युक्त भोजन न खाएं। मीठा भी सेहत के लिये खराब माना जाता है। इस बीमारी के पीछे डयबिटीज भी एक कारण हो सकता है। अपने खाने पीने में हरी-पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें और जितना हो सके उतना फल खाएं।
  • मोटापा हर मर्ज में परेशानी का कारण बनता है। ज्यादा वसा युक्त भोजन, व्यायाम की कमी और जंक फूड का सेवन तेजी से वजन बढ़ाता है। अत्यधिक चर्बी से एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा में बढ़ोतरी होती है, जो ओवरी में सिस्ट बनाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसलिए वजन घटाने से इस बीमारी को बहुत हद तक काबू में किया जा सकता है। जो महिलाएं बीमारी होने के बावजूद अपना वजन घटा लेती हैं, उनकी ओवरीज में वापस अंडे बनना शुरू हो जाते हैं।

पीसीओएस से उत्पन्न होने वाली समस्याएं

पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिन्ड्रोम (पीसीओएस) होने पर निम्न प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, खासकर यदि इसका एक कारण मोटापा हो-

  • टाइप 2 डायबिटीज
  • कोलेस्ट्रॉल और लिपिड असामान्यताएं, जैसे ऊंचा ट्राइग्लिसराइड्स या कम हाई डेंसिटी लेपोप्रोटीन (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल, अच्छे कोलेस्ट्रॉल
  • सी-रिएक्टिव प्रोटीन का स्तर ऊपर उठना चूंकि यह एक हृदय रोग की निशानी है।
  • मेटाबोलिक सिंड्रोम, एक क्लस्टर का संकेत और लक्षण है जिससे हृदय रोग का खतरा काफी बढ़ सकता है
  • स्लीप एपनिया
  • असामान्य गर्भाशय रक्तस्राव
  • एस्ट्रोजन का निरंतर उच्च स्तर होने के कारण गर्भाशय के अस्तर (एंडोमेट्रियल कैंसर) में कैंसर होने का खतरा हो सकता है
  • उच्च रक्तचाप
  • गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर रहने के बच्चे को गर्भावधि मधुमेह या गर्भावस्था प्रेरित हो सकती है

पीसीओएस से ऐसे करें इसका उपचार

पीसीओएस का उपचार किया जा सकता है। अगर हार्मोन को संतुलित कर लिया जाए तो यह अपने आप ही ठीक हो जाएगा। पीसीओएस को अब एक जेनेटिक बीमारी के रूप में पहचाना जा रहा है, जो परिवार में किसी को भी हो सकती है, इसका संबंध मधुमेह से भी हो सकता है। साथ ही बिना दवा या दवा लेकर पीसीओएस की समस्या दूर करने के लिए महिलाओं को अपने जीवनशैली में बदलाव करना बेहद जरूरी होता है। जीवनशैली में बदलाव व सही संतुलित डाइट से इस समस्या को काफी नियंत्रित किया जा सकता है-

  • लड़कियों को खेल में भाग लेना चाहिये और खूब सारा व्यायाम करना चाहिये।
  • इसके अलावा अपने खाने-पीने का भी अच्छे से ख्याल रखना चाहिये तभी यह ठीक हो सकेगा।
  • संतुलित आहार और नियमित व्यायाम इस बीमारी से निजात दिलाने में सबसे बड़ा सहायक हो सकता है।
  • पीसीओएस से पीडि़त मोटी महिलाओं को सबसे पहले अपना वजन घटाना चाहिए। ऐसा देखा गया है कि पीसीओएस से पीडि़त मोटी महिलाओं में 10 से 15 किलो वजन घटाने से भी बांझपन की समस्या से 75 प्रतिशत तक छुटकारा मिलता है।

पोलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) कोई गंभीर बीमारी नहीं बल्कि शरीर में हारमोन्स के असंतुलन के कारण पैदा हुई एक ऐसी समस्या है जिसको उपचार व चिकित्सा के जरिये कम किया जा सकता है।

  • महिलाओं को एल्कोहल व धूम्रपान के सेवन से भी बचना चाहिए।
  • पोलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) के नियंत्रण व उपचार के लिए अल्ट्रासोनोग्राफी जैसी कई डायग्नोस्टिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।

लक्षणों को हल्के में न लें। सही समय पर किसी महिला रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।

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यशोदा हॉस्पिटल

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यशोदा अस्पताल गाजियाबाद, नोएडा और दिल्ली एनसीआर में सर्वश्रेष्ठ सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में से एक है। यशोदा हॉस्पिटल का लक्ष्य सिर्फ दिल्ली एनसीआर, गाजियाबाद और नोएडा में ही नहीं बल्कि पूरे देश में सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल होने के नाते, यशोदा अस्पताल में एक ही छत के नीचे सभी समर्पित विशिष्टताएँ हैं- गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, सामान्य सर्जरी, प्रसूति एवं स्त्री रोग, कार्डियोलॉजी, पल्मोनोलॉजी और आंतरिक चिकित्सा, आर्थोपेडिक्स, मूत्रविज्ञान और कई अन्य।

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