पित्ताशय की पथरी का जल्दी करें निवारण
आजकल के मिलावटी खान-पान और असंतुलित आहार के कारण लोगों में कई तरह के रोग होना आम बात हो गई है, जिसमें से पित्ताशय की समस्या का होना भी आम हो गया है। पित्ताशय (गॉल ब्लैडर) हमारे लिवर के ठीक नीचे एक नाशपाती नुमा पाचन ग्रंथि होता है। इसमें लिवर द्वारा निर्मित पाचन एंजाइम-पित्त एकत्रित होता है। चर्बीयुक्त भोजन को पचाने के लिए पित्ताशय इसी गाढ़े पित्त को आंत में भेजता है। पित्ताशय का एक सामान्य रोग इसमें बनने वाली पथरी होती है, जिसे पित्तपथरी रोग कहा जाता है। संपूर्ण आबादी में से 10 से 20 प्रतिशत लोगों में पित्तपथरी रोग के लक्षण पाए जाते हैं जबकि बहुत सारे लोगों में इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते। पित्तपथरी के मामले पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहे हैं। अमूमन यह रोग 30 से 50 साल की महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है। महिलाओं में जहां इस रोग की उपस्थिति तीन गुना ज्यादा होती है, वहीं दक्षिण भारत की तुलना में उत्तरी और मध्य भारत के लोगों में यह रोग सात गुना ज्यादा होता है।
क्या होते हैं पित्ताशय रोग होने का कारण
कम कैलोरी, तेजी से वजन घटाने वाले भोजन तथा लंबे समय तक भूखे रहने से गॉल ब्लाडर सिकुडना बंद हो जाता है और इस वजह से इसमें पथरी विकसित होने लगती है। इतना ही नहीं, पित्तपथरी और मोटापा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन तथा हाइपरकोलेस्टेरोलेमिया जैसे लाइफस्टाइल रोगों के बीच एक गहरा ताल्लुक होता है।
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ये हो सकते हैं पित्ताशय रोग के लक्षण
सामान्यता, पित्ताशय की पथरी के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। अगर पित की थैली में इन्फ़ैकशन हो जाए या स्टोन नली में फंस जाता है तो पेट के उपरी दायें भाग में दर्द होना, छाती की हड्डी के नीचे, पेट के केंद्र में अचानक तेज और गहरा दर्द होना, कमरदर्द और दांये कंधे में दर्द होना जैसे लक्षण दिखाई देते है। गॉल स्टोन का दर्द कुछ मिनटों से लेकर कुछ दिनो तक हो सकता है।
पित्तपथरी के कुछ लक्षण बहुत गंभीर भी होते हैं और कई बार ये जान के लिए खतरा भी बन जाते हैं।
- पित्त की नली में पथरी होने से पीलिया और गंभीर सर्जिकल स्थिति भी उभर सकती है।
- इससे संक्रमण, मवाद बनने और गॉल ब्लाडर में छेद होने के कारण पेरिटनाइटिस (पेट की झिल्ली का रोग) भी सकता है।
- पेनक्रियाटाइटिस जैसी जानलेवा स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
- पित्ताशय में कैंसर हो सकता है। पित्तपथरी से पीड़ित मरीजों के 6 से 18 प्रतिशत मामलों में आजीवन कैंसर पनपने का खतरा रहता है जो खासतौर पर उत्तर भारत में ज्यादा देखे गए हैं।
- बड़ी पथरियों से पीड़ित मरीजों में कैंसर विकसित होने की संभावना ज्यादा रहती है जबकि छोटी पथरियों से पीड़ितों में पीलिया या पेनक्रियाटाइटिस के मामले ज्यादा होते हैं।
- पित्तपथरी के जानलेवा लक्षणों को देखते हुए हमेशा यही सलाह दी जाती है कि लक्षणों का इंतजार किए बगैर रोग का पता चलते ही इसकी सर्जरी करा लें, चाहे लक्षण बहुत हल्के भी क्यों न नजर आए। अपने पेट के अंदर विस्फोटक लेकर न चलें।
- अगर आपको गंभीर पित्ताशय की पथरी की जटिलता के निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें तब बिना देर किये डॉक्टर को दिखाएं:
- पेट में दर्द इतना है कि आप सीधे बैठ न सकें।
- त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीला पड़ जाना।
- पेट में दर्द के साथ ठंड लगकर तेज बुखार आना या उल्टी आना।
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पित्ताशय रोग का उपचार है जरूरी
- इस रोग को पेट की अल्ट्रासोनिक जांच से आसानी से पहचाना जा सकता है। रोग का पता लगने के बाद इसका एकमात्र इलाज सर्जरी है। कुछ केसेस में, सर्जरी के द्वारा स्टोन के साथ पित्ताशय को भी निकाल दिया जाता है क्योंकि अगर इसे न निकाला जाए तो इसमें फिर से स्टोन विकसित हो सकता है।
- पित्ताशय को निकालने के लिये की जाने वाली सर्जरी को कोलेसिस्टेकटॉमी कहते हैं। इस तकनीक के द्वारा सर्जरी कराने पर मरीज को अस्पताल में सिर्फ एक या दो दिन रहना पड़ता है।
- पित्ताशय निकालने से हमारे पाचन तंत्र पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि पित्ताशय में पित्त एकत्रित हुए बगैर भी आंत तक पहुंचता रहता है।
- किडनी स्टोन के मामले में ज्यादातर पथरी दवाइयों के सेवन से ही निकल जाती है लेकिन पित्तपथरी सहजता से नहीं निकलती। इसलिए पित्तपथरी को किडनी स्टोन मानने की भूल नहीं करनी चाहिए।
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रोकथाम और सावधानियां बरतनी है जरूरी
- अनाज, प्रोटीन और वसा का संतुलित सेवन करें।
- सेचुरेटिड फैट का सेवन कम से कम करें, जैसे – मीट, जमे हुए वनस्पती घी, मख्खन आदि।
- खट्टे और कड़वे खाद्य पदार्थों का भी सेवन करें – यह पाचन में सहायता करते हैं।
मिलिए हमारे पित्ताशय की पथरी के एक्सपर्ट से
डॉ. सुशील फोतेदार वर्तमान में यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड कैंसर इंस्टीट्यूट, संजय नगर, गाजियाबाद में निदेशक, रोबोटिक, लेप्रोस्कोपिक और मिनिमल एक्सेस सर्जरी के रूप में जुड़े हुए हैं। उन्नत सर्जरी में विशेषज्ञता के साथ एक उच्च योग्य लेप्रोस्कोपिक (न्यूनतम इनवेसिव) और सामान्य सर्जन, डॉ. सुशील फोतेदार ने न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रियाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का प्रदर्शन किया हैं। 20,000 से अधिक सर्जरी सफलतापूर्वक करने के बाद, डॉ. सुशील फोतेदार दिल्ली एनसीआर में सबसे प्रसिद्ध सर्जिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट में से एक हैं।
डॉ. प्रोफेसर (कर्नल) अरुण कुमार सिंह के पास शल्य चिकित्सा का व्यापक अनुभव है, जिसकी शुरुआत उन्होंने फिरोजपुर (पंजाब) में भारतीय सेना के एक जोनल अस्पताल से की। उन्होंने आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) दिल्ली कैंट, कमांड हॉस्पिटल, लखनऊ, नेवी कमांड हॉस्पिटल, मुंबई और फोर्टिस हॉस्पिटल, कोलकाता में उन्नत लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, प्रमुख लिवर रिसेक्शन, लिवर ट्रांसप्लांट और जटिल पैनक्रिटिको बिलीरी सर्जरी सहित सभी जीआई घातक बीमारियों का प्रदर्शन किया है। डॉ. अरुण कुमार सिंह ने सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में प्रोफेसर के साथ-साथ डीएनबी शिक्षक के रूप में भी काम किया है।