हल्के में न ले सिरदर्द को, हो सकता है मस्तिष्क का ट्यूमर

हल्के में न ले सिरदर्द को,  हो सकता है मस्तिष्क का ट्यूमर
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ब्रेन ट्यूमर का नाम सुनते ही लोगों के मन में एक अजीब सा डर उत्पन्न हो जाता है। एक समय में मौत का दूत माने जाने वाले ब्रेन ट्यूमर का उपचार आज रेडियोसर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी के अलावा कंप्यूटर आधारित स्टीरियोटैक्टिक ब्रेन सर्जरी एवं रोबोटिक सर्जरी जैसी नवीनतम तकनीकों की बदौलत अत्यंत कारगर, सुरक्षित एवं काफी हद तक कष्ट रहित हो गया है। ब्रेन ट्यूमर की पहचान जितनी पहले हो जाए, इलाज उतना ही आसान हो जाता है। 

ब्रेन ट्यूमर हो सकता है खतरनाक

सामान्यत: मस्तिष्क में किसी भी चीज में वृद्धि होना बहुत खतरनाक माना जाता है और यह बात ब्रेन ट्यूमर के मामले में भी लागू होती है। ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार के होते हैं, हालांकि इसे कैंसर के आधार पर मुख्य रूप से दो वर्गों कैंसरजन्य और कैंसर रहित ट्यूमर में विभाजित किया जा सकता है। बीस से चालीस साल के लोगों को ज्यादातर कैंसर रहित और 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादातर कैंसर वाले ट्यूमर होने की संभावना रहती है। कैंसर रहित ट्यूमर कैंसर वाले ट्यूमर की तुलना में धीमी गति से बढ़ता है।

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ब्रेन ट्यूमर के लक्षण

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण साधारणतः सीधे उससे संबंधित होते हैं, जहां दिमाग के अंदर ट्यूमर होता है। उदाहरण के लिए मस्तिष्क के पीछे ट्यूमर के कारण दृष्टि संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। मस्तिष्क के बाहरी भाग में होने वाले ट्यूमर के कारण बोलते समय रुकावट आने जैसी समस्या हो सकती है। ट्यूमर का आकार बढ़ने के परिणास्वरूप मस्तिष्क पर बहुत दबाव पड़ता है। इस कारण सिर दर्द, उल्टी आना, जी मचलना, दृष्टि संबंधी समस्याएं या चलने में समस्या, बोलते समय समस्या होना यदि लक्षण हो सकते हैं। 

ब्रेन ट्यूमर के अन्य लक्षण

  1. सिरदर्द: ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षणों में से एक है सिरदर्द। इसमें अक्सर सुबह उठते ही भयानक सिरदर्द शुरू हो जाता है, जो दिन में धीरे-धीरे ठीक हो जाता है। झुकने में और व्यायाम करने में सिरदर्द अधिक कष्टकारी होता है।
  2. मानसिक व व्यक्तित्व बदलाव: मरीजों के स्वभाव संबंधी व्यवहार व व्यक्तित्व में बदलाव पाया जाता है। मरीज को बोलने में तकलीफ महसूस होती है व स्मरण शक्ति भी कम हो जाती है।
  3. मास इफेक्ट: यह इंट्राक्रेनियल दबाव के बढ़ने से होता है जिसके लक्षण हैं- उल्टी व जी मचलाना, चक्कर आना, दृष्टि संबंधी तकलीफें, धुंधला दिखाई देना, नेत्र-संबंधी समस्याएं जैसे नस (पापिलेडेमा) में सूजन। यह लक्षण छोटे बच्चो में, उम्रदराज लोगों में व जिनमें धीरे-धीरे ट्यूमर बढ़ता है आदि लोगों में पाए जाते हैं।
  4. फोकल लक्षण: इन फोकल लक्षणों जैसे साफ सुनाई न देना, कानों में कुछ बजने की आवाज सुनना, कमजोरी, बोलने व चलने में दर्द, मांसपेशियों पर घटता नियंत्रण, दोहरा दिखाई देना और घटती चेतना (सेंसेशन) आदि भी ट्यूमर के कारण हो सकते हैं।

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ब्रेन ट्यूमर के कारण

कभी-कभी ट्यूमर की वजह से सिर में पानी इक्टठा होने लगता है, जिसको चिकित्सकीय भाषा में ‘हाइड्रोसिफेलस’ कहते हैं। यह स्थिति मरीज के लिए खतरनाक हो सकती है। प्रायः ब्रेन ट्यूमर का निदान करना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इसमें पाए जाने वाले लक्षण किसी अन्य समस्या के संकेत हो सकते हैं। ये संकेत बोलते समय अटकना, दवाइयों, नशीले पदार्थों या शराब का सेवन करने के कारण भी हो सकते हैं। जब यह लक्षण बहुत तीव्रता के साथ उत्पन्न होने लगते हैं तो यह ब्रेन ट्यूमर का कारण हो सकते हैं। चिकित्सा विज्ञान में ब्रेन ट्यूमर के मुख्य कारणों का पता नहीं चल पाया है। आनुवंशिक संबंधों के विषय में दुनिया भर में शोध कार्य चल रहा है।

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ब्रेन ट्यूमर का उपचार

ब्रेन ट्यूमर के प्रकार, स्थान और आकार पर आधारित विभिन्न प्रकार के इलाज करने के तरीकों का चुनाव किया जाता है। यदि ऑपरेशन सुरक्षित है, तो ऐसे में ट्यूमर को हर संभव तरीके से दूर करने के लिए ऑपरेशन को उपचार की पहली विधि के रूप में अपनाया जाता है। यह सर्जरी एंडोस्कोपी प्रक्रिया से की जाती है, अन्यथा स्टीरियोटैक्टिक बायोप्सी की जाती है। यदि ट्यूमर ऑपरेशन योग्य है तो चिकित्सक इस सर्जरी के लाभ और जोखिम को निर्धारित करते हैं और सर्जरी के बाद यदि कोई ट्यूमर बच जाता है, तो उसे रेडियेशन या कीमोथैरेपी से ठीक किया जाता है। अक्सर ट्यूमर को पोस्ट-ऑपरेटिव ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती, परंतु कई बार ट्यूमर को पोस्ट-ऑपरेटिव की जरूरत पड़ती है।

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डॉ.पुनीत मलिक दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ न्यूरोसर्जन में से एक हैं और उनके पास न्यूरोसर्जरी में 10+ से अधिक वर्षों का अनुभव है। वर्तमान में, वह यशोदा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, नेहरू नगर, गाजियाबाद में सलाहकार न्यूरोसर्जन (मस्तिष्क, रीढ़ और तंत्रिका विशेषज्ञ) हैं, उन्होंने बड़ी संख्या में जटिल मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की सर्जरी की है। वह लगातार रुक-रुक कर होने वाले सिरदर्द, गर्दन और पीठ में दर्द, ऊपरी अंगों या निचले अंगों में संवेदनाओं की अनुभूति, मिर्गी या दौरे, धुंधली दृष्टि, अंगों का पक्षाघात / सुन्नता, चेहरे के आकार में विकृति, मतिभ्रम जैसे रोगियों के इलाज में विशेषज्ञ हैं।

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यशोदा हॉस्पिटल

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यशोदा अस्पताल गाजियाबाद, नोएडा और दिल्ली एनसीआर में सर्वश्रेष्ठ सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में से एक है। यशोदा हॉस्पिटल का लक्ष्य सिर्फ दिल्ली एनसीआर, गाजियाबाद और नोएडा में ही नहीं बल्कि पूरे देश में सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल होने के नाते, यशोदा अस्पताल में एक ही छत के नीचे सभी समर्पित विशिष्टताएँ हैं- गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, सामान्य सर्जरी, प्रसूति एवं स्त्री रोग, कार्डियोलॉजी, पल्मोनोलॉजी और आंतरिक चिकित्सा, आर्थोपेडिक्स, मूत्रविज्ञान और कई अन्य।

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