थोड़ी सावधानी बचा सकती है मधुमेह की परेशानी से
आज बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई मधुमेह की चपेट में आ रहा है। यह अकेली बीमारी नहीं हैं बल्कि यह शरीर में अन्य खतरनाक बीमारियां जैसे दिल का दौरा, गुर्दे की विफलता और डायलिसिस, अंधापन और पैरों के काटने की नौबत को भी जन्म देती है। हैरानी की बात ये है कि इसका उम्र वर्ग से कोई जुड़ाव नहीं है। एक तरफ जहां बुजुर्ग इसका सीधा टारगेट हैं, वहीं यह आज के नवजात शिशुओं को भी नहीं बख्स रही है। इसके अलावा नौजवान युवक युवतियां भी तेजी से मधुमेह का शिकार बनते जा रहे हैं।
क्या है मधुमेह?
मधुमेह एक ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल बहुत हाई हो जाता है, जो शरीर में तंत्रिकाओं और रक्त धमनियों को नष्ट कर देता है।
मधुमेह के लक्षण:
अधिकांश मामलों में यदि व्यक्ति प्री डायबिटीज या टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हो, तो समस्या की शुरूआत में लक्षण दिखाई नहीं पड़ते। लेकिन, टाइप-1 डायबिटीज के मरीज़ों में डायबिटीज़ लक्षण बहुत तेजी से प्रकट होते हैं और ये काफी गंभीर भी होते हैं। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मुख्य लक्षण ये हैं:
- बार-बार पेशाब आना
- भूख बहुत अधिक लगना
- अचानक से शरीर का वजह कम हो जाना या बढ़ जाना
- बहुत अधिक प्यास लगना
- थकान
- चिड़चिड़ापन
- आंखों के आगे धुंधलापन
- घाव भरने में बहुत अधिक समय लगना
- स्किन इंफेक्शन
- ओरल इंफेक्शन्स
- वजाइनल इंफेक्शन्स
यह भी पढ़ें: दिल का ख्याल रखना क्यों है ज़रूरी और कैसे रखें दिल को स्वस्थ?
मधुमेह होने का कारण:
1. मार्डन लाइफस्टाइल: आधुनिक जीवनशैली अपनाने के कारण लोगों की जिंदगी में एकाएक बदलाव आया है जिसके चलते उनका रहन सहन एवं खानपान भी पूरी तरह बदल गया है। जैसे: कामकाजी लोगों द्वारा एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठकर काम करते रहना, काम के दौरान की प्राकृतिक क्रियाएं छुट जाना, बॉडी को फिट रखने वाली शारीरिक गतिविधियों से दूरी बनना और संतुलित आहार लेने की बजाय मसालेदार एवं तले स्ट्रीट फूड का जमकर खाया जाना जो कि युवा पीढ़ी को दिन-प्रतिदिन बीमारियों के मुंह में धकेल रहा है।
2. तनावपूर्ण स्थिति: इस भागदौड़ के समय में आज आदमी की जिंदगी में आराम की जगह तनाव ने ले ली है। चाहे बात व्यक्तिगत जीवन की हो या प्रोफेशनल – दोनों के बीच संतुलन कायम करने के लिए महिला पुरूष दोनों ही बेहद तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहे हैं। मानसिक दवाब भी अधिक बढ़ रहा है जिसका सीधा असर हमारी तंत्रिकाओं पर पड़ता है। इस वजह से उच्च रक्तचाप में वृद्धि हो रही है। इस सबसे डायबिटीज बढ़ रही है।
3. धूम्रपान: स्मोकिंग करने से ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। इतना ही नहीं, यह हार्ट फेलियर एवं अंधापन संबंधी बीमारियों को भी न्योता देता है। इस समस्या के आसार युवा पीढी के बीच ज्यादा दिख रहे हैं क्योंकि स्मोकिंग नौजवान, खासकर पढ़े-लिखें और कामकाजी युवक-युवतियों के बीच एक प्रचलन के तौर पर तेजी से उभर रहा है। स्मोकिंग का ज्यादा इस्तेमाल इन युवक-युवतियों में हाई ब्लड शुकर की समस्याएं पैदा कर रहा है। एल्कोहल का बेहिसाब इस्तेमाल भी मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारी को न्यौता देता है।
4. आनुवांशिक कारण: आज के समय में मधुमेह पीढ़ी दर पीढ़ी फैलने वाली यानि एकआनुवांशिक बीमारी बन गयी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर परिवार में अभिभावक को डायबिटीज की समस्या होने पर इसका इलाज न कराया गया तो यह बड़ी ही आसानी से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित हो जाती है। इसके अलावा इलाज न कराने पर डायबिटीज से पीड़ित प्रेग्नेंट महिला द्वारा नवजात शिशुओं में भी मधुमेह की शिकायत की आशंका बढ़ जाती है।
5. मोटापा: बहुत ज्यादा खाना खाने से खाना न पचने की समस्या शुरू हो सकती है। इसके बाद धीरे-धीरे कैलोरीज में तब्दील एक्सेस फूड वसा के रूप में पेट के चारों तरफ इक्ट्ठा हो जाता है। इससे ब्लड वैसल्स को नुकसान पहुंचता है। बेतादाद और असंतुलित आहार के सेवन से न केवल व्यस्कों में बल्कि छोटे बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है जिससे डायबिटीज भी बढ़ रही है।
यह भी पढ़ें: उच्च रक्तचाप के कारण, लक्षण और इलाज
ऐसे करें मधुमेह से बचाव के उपाय:
- मधुमेह को नियंत्रित करने एवं बचाव के लिए नियमित व्यायाम और सुबह-शाम की सैर अपनी दिनचर्या में ऐड करें।
- तनाव लेने से बचें।
- मीठा खाने से परहेज करें। इसकी बजाय शुगर-फ्री पेय पदार्थों जैसे ग्रीन टी का इस्तेमाल करें।
- कैलोरीज से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे फास्ट फूड से दूरी बनायें। इससे शरीर में मोटापे की समस्या बढ़ती है।
- संतुलित आहार करें। स्मोकिंग एवं एल्कोहल के सेवन से बचे।
- गर्भवती महिलाएं ब्लड शुगर की नियमित जांच करायें एवं चिकित्सक द्वारा दिए निर्देशों का ईमानदारी के साथ पालन करें। इससे जेनेटिक मधुमेह समस्या की रोकथाम में मदद मिलेगी।
यह भी पढ़ें: महिलाओं में बढ़ते पीसीओएस की समस्या: क्या होता है ये और कैसे करें इसका निवारण?
दिल्ली एनसीआर में श्रेष्ठतम डॉक्टरों से मिलें:
डॉ.सौरभ गुप्ता चिकित्सा के क्षेत्र में एक अत्यधिक अनुभवी और समर्पित डॉक्टर हैं, जिनके पास आंतरिक चिकित्सा में 16 वर्षों से अधिक का अनुभव है। डॉ.सौरभ गुप्ता अपने विशेषज्ञता के क्षेत्र में एक कुशल, और सम्मानित डॉक्टर हैं।
डॉ. जलज दीक्षित एक समर्पित आंतरिक चिकित्सा विशेषज्ञ हैं, जो भारत के सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों और संस्थानों में प्रशिक्षित हैं। उनके पास दिल्ली एनसीआर के प्रतिष्ठित अस्पतालों जैसे डॉ. आरएमएल अस्पताल, नॉर्थ डीएमसी मेडिकल कॉलेज और हिंदू राव अस्पताल, नई दिल्ली में आंतरिक चिकित्सा में 10 वर्षों से अधिक का अनुभव है।
डॉ. अतुल रतूड़ी यशोदा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, नेहरू नगर, गाजियाबाद में इंटरनल मेडिसिन के सलाहकार हैं। चिकित्सा क्षेत्र में 15 वर्षों से अधिक के अनुभव के साथ, वह दोनों आई.सी.यू. और गंभीर वार्ड में मरीजों का इलाज करने में माहिर हैं।